विशेष :
| गुणस्थान में आस्रव के मूल-प्रत्यय |
| गुणस्थान |
बंध-प्रत्यय |
मिथ्यात्व (5) |
अविरत (12) |
कषाय (25) |
योग (15) |
| मिथ्यादृष्टि |
4 |
✔ |
✔ |
✔ |
✔ |
| सासादन |
3 |
X |
✔ |
✔ |
✔ |
| सम्यग्मिथ्यादृष्टि |
3 |
X |
✔ |
✔ |
✔ |
| असंयत सम्यग्दृष्टि |
3 |
X |
✔ |
✔ |
✔ |
| संयतासंयत |
3 |
X |
✔ |
✔ |
✔ |
| प्रमत्तसंयत |
2 |
X |
X |
✔ |
✔ |
| अप्रमत्तसंयत |
2 |
X |
X |
✔ |
✔ |
| अपूर्वकरण |
2 |
X |
X |
✔ |
✔ |
| अनिवृत्तिकरण |
2 |
X |
X |
✔ |
✔ |
| सूक्ष्मसाम्पराय |
2 |
X |
X |
✔ |
✔ |
| उपशान्त / क्षीण कषाय |
1 |
X |
X |
X |
✔ |
| सयोग केवली |
1 |
X |
X |
X |
✔ |
| गोम्मटसार कर्मकांड गाथा -- गाथा -- 786 से 788 |
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