विशेष :
| गुणस्थानों में आस्रव के प्रत्यय के भंगों का प्रमाण |
| गुणस्थान |
विशेष |
प्रत्यय |
भंगों का प्रमाण |
| 5 मिथ्यात्व |
12 अविरति |
25 कषाय |
15 योग |
| 6 प्राणी |
6 इंद्रिय |
कषाय |
हास्य-रति / शोक-अरती |
भय |
जुगुप्सा |
वेद |
| मिथ्यादृष्टि |
अनंतानुबंधी-रहित |
5 |
*63 |
6 |
4 |
2 |
^2 |
^2 |
3 |
#10 |
18,14,400 |
| सामान्य |
5 |
63 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
13 |
23,58,720 |
| *प्राणी असंयम में 1 से 6 तक सभी combinations, 6C1+6C2+6C3+6C4+6C5+6C6=6+15+20+15+6+1=63 |
कुल 41,73,120 |
| ^भय या जुगुप्सा का उदय हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है (अध्रुव) इसलिए दोनों के 2-2 भंग हैं । |
| #अनंतानुबंधी से रहित पर्याप्त अवस्था में ही होते हैं । इसलिए औदारिक-मिश्र / वेक्रियिक-मिश्र / कार्मण काय योग यहाँ नहीं है |
| सासादन |
वैक्रियिक-मिश्र बिना |
- |
63 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
*12 |
4,35,456 |
| वैक्रियिक-मिश्र में |
- |
63 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
#2 |
1 |
24,192 |
| *वैक्रियिक-मिश्र बिना बारह योग |
कुल 4,59,648 |
| #वैक्रियिक-मिश्र में नपुंसक वेद नहीं |
| मिश्र |
- |
63 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
*10 |
कुल 3,62,880 |
| *5 योग का मिश्र अवस्था में अभाव -- आहारक द्विक, औदारिक-मिश्र, वैक्रियिक-मिश्र, कार्मण |
| असंयत सम्यग्दृष्टि |
पर्याप्त अवस्था |
- |
63 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
10 |
3,62,880 |
| वैक्रियिक-मिश्र / कार्मण |
- |
63 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
2 |
*2 |
48,384 |
| औदारिक-मिश्र |
- |
63 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
1 |
*1 |
12,096 |
| *वैक्रियिक-मिश्र के साथ स्त्री वेद और औदारीक-मिश्र के साथ स्त्री / नपुंसक वेद यहाँ नहीं है |
कुल 4,23,360 |
| संयतासंयत |
- |
^31 |
6 |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
*9 |
कुल 1,60,704 |
| ^त्रस-हिंसा का अभाव, भंग = 5C1+5C2+5C3+5C4+5C5=5+10+10+5+1=31 |
| *त्रस-हिंसा और वैक्रियिक योग यहाँ नहीं है |
| प्रमत्तसंयत |
सामान्य |
- |
- |
- |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
*9 |
864 |
| आहारक-योग |
- |
- |
- |
4 |
2 |
2 |
2 |
#1 |
2 |
64 |
| *असंयम प्रत्यय का अभाव, वैक्रियिक और मिश्र योग का अभाव |
कुल 928 |
| #आहारक / आहारक-मिश्र योग में पुरुष वेद का ही सद्भाव |
| अप्रमत्तसंयत |
- |
- |
- |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
9 |
कुल 864 |
| अपूर्वकरण |
- |
- |
- |
4 |
2 |
2 |
2 |
3 |
9 |
कुल 864 |
| अनिवृत्तिकरण |
वेद-सहित |
- |
- |
- |
4 |
- |
- |
- |
3 |
9 |
108 |
| नपुंसक-वेद-रहित |
- |
- |
- |
4 |
- |
- |
- |
2 |
9 |
72 |
| वेद-रहित |
- |
- |
- |
4 |
- |
- |
- |
- |
9 |
36 |
| क्रोध-रहित |
- |
- |
- |
3 |
- |
- |
- |
- |
9 |
27 |
| मान-रहित |
- |
- |
- |
2 |
- |
- |
- |
- |
9 |
18 |
| माया-रहित |
- |
- |
- |
1 |
- |
- |
- |
- |
9 |
9 |
|
कुल 270 |
| सूक्ष्मसाम्पराय |
- |
- |
- |
1 |
- |
- |
- |
- |
9 |
कुल 9 |
| उपशान्त कषाय |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
9 |
कुल 9 |
| क्षीण कषाय |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
9 |
कुल 9 |
| सयोग केवली |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
7 |
कुल 7 |
| गोम्मटसार कर्मकाण्ड -- गाथा 795-796 |
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