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जीवों का वर्तमान निवास-स्थान / अवस्था

  विशेष 

विशेष :


मार्गणा जीवों का वर्तमान निवास-स्थान / अवस्था
स्वस्थान समुद्घात उपपाद
स्व.स्व. वि.स्व. वेदना कषाय वैक्रियिक तैजस आहारक मारणा. केवली
नारकी, तिर्यंच (पंचेन्द्रिय, पंचेंद्रिय पर्याप्त, योनिमती), देव, उपशम सम्यक्त्व, सासादन, स्त्रीवेद, मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, असंयत, लेश्या (कृष्ण, नील, कापोत), अभव्य, मिथ्यादृष्टि, असंज्ञी X X X
पुरुषवेद, वेदक सम्यक्त्व, लेश्या (पीत, पद्म), क्रोध, मान, माया लोभ X
मनुष्यनी X X
अकषायी, अपगत वेद, यथाख्यात संयत X X X X X X
पर्याप्त (मनुष्य, पंचेंद्रिय, त्रस), शुक्ल लेश्या, क्षायिक सम्यक्त्व
वैक्रियिक काययोग, विभंगज्ञान X X X X
विकलत्रय पर्याप्त X X X X
त्रस लब्ध्यपर्याप्त, बादर पर्याप्त (पृथ्वी, जल), सप्रतिष्टित प्रत्येक वनस्पति पर्याप्त X X X X X
संयत X
सामायिक, छेदोपस्थापना X X
संयतासंयत, परिहारविशुद्धि X X X X
सम्यग्मिथ्यादृष्टि X X X X X
आहारक काययोग X X X X X X
आहारकमिश्र X X X X X X X X X
सूक्ष्मसांपराय X X X X X X X X
बादर एकेन्द्रीय पर्याप्त (तेजस्कायिक, वायुकायिक) X X X X
सूक्ष्म, निगोद, एकेन्द्रिय अपर्याप्त X X X X X
स्व.स्व. = स्वस्थान-स्वस्थान, वि.स्व. = विहारवत स्वस्थान, मारणा. = मारणांतिक