विशेष :
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इंद्रिय और काय मार्गणा में एक जीव की अपेक्षा प्रकृतिबंध अंतरानुगम |
| कर्म |
अन्तर |
| जघन्य |
उत्कृष्ट |
| एकेन्द्रिय |
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५ ज्ञानावरण, ६ दर्शनावरण, मिथ्यात्व, १६ कषाय, भय, जुगुप्सा, औदारिक-तैजस-कार्मण शरीर, वर्ण 4, अगुरुलघु, उपघात, निर्माण, ५ अन्तराय |
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| २ वेदनीय, ७ नोकषाय, तिर्यंचगति, ५ जाति, ६ संस्थान, औदारिक शरीरांगोपांग, ६ संहनन, तिर्यंचानुपूर्वी, परघात, उच्छ्वास, आताप, उद्योत, २ विहायोगति, त्रसादि दसयुगल, नीचगोत्र |
एक समय |
अंतर्मुहूर्त |
| पृथ्वीकाय |
तिर्यंचायु |
अंतर्मुहूर्त |
कुछ अधिक 22 हजार वर्ष |
| अपकाय |
साधिक सात हजार वर्ष |
| वनस्पतिकाय |
साधिक दस हजार वर्ष |
| निगोद |
अंतर्मुहूर्त |
| तेजकाय |
साधिक तीन रात्रि-दिन |
| वायुकाय |
साधिक तीन हजार वर्ष |
| पृथ्वीकाय |
मनुष्यायु |
अंतर्मुहूर्त |
कुछ अधिक 7 हजार वर्ष |
| अपकाय |
साधिक दो हजार वर्ष |
| वनस्पतिकाय |
साधिक तीन हजार वर्ष |
| निगोद |
अंतर्मुहूर्त |
| बादर |
मनुष्यगति, मनुष्यानुपूर्वी, उच्चगोत्र |
एक समय |
अंगुल का असंख्यातवाँ भाग |
| बादर पर्याप्त |
संख्यात हजार वर्ष |
| सूक्ष्म |
असंख्यात लोक |
| सूक्ष्मपर्याप्तक |
अंतर्मुहूर्त |
| तेजकाय, वायुकाय में एकेन्द्रिय के समान अन्तर जानना चाहिए। विशेष यह है कि यहाँ मनुष्यगतिचतुष्क को नहीं ग्रहण करना चाहिए। यहाँ तिर्यंचगति त्रिक का ध्रुव भंग जानना चाहिए। |
| विकलत्रय |
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एकेन्द्रिय के समान अन्तर |
| मनुष्यगति, मनुष्यानुपूर्वी, उच्चगोत्र |
एक समय |
अंतर्मुहूर्त |
| दो-इंद्रिय |
तिर्यंचायु |
अंतर्मुहूर्त |
साधिक बारह वर्ष |
| तीन-इंद्रिय |
साधिक उनचास रात्रि-दिन |
| चार-इंद्रिय |
साधिक छह मास |
| दो-इंद्रिय |
मनुष्यायु |
अंतर्मुहूर्त |
देशोन चार वर्ष |
| तीन-इंद्रिय |
कुछ अधिक सोलह रात्रि-दिन |
| चार-इंद्रिय |
कुछ कम दो माह |
| पंचेन्द्रिय, त्रसकाय तथा उनके पर्याप्तक |
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५ ज्ञानावरण, ४ दर्शनावरण, २ वेदनीय, ४ संज्वलन, ७ नोकषाय, पंचेन्द्रियजाति, तैजस, कार्मण, समचतुरस्र-संस्थान, वर्णचतुष्क, अगुरुलघु-चतुष्क, प्रशस्त-विहायोगति, त्रस-चतुष्क, स्थिरयुगल, सुभग, सुस्वर, आदेय, निर्माण, तीर्थंकर, ५ अन्तराय |
एक समय |
अंतर्मुहूर्त |
| निद्रा, प्रचला |
अन्तर्मुहूर्त |
अन्तर्मुहूर्त |
| स्त्यानगृद्धि त्रिक, मिथ्यात्व, अनन्तानुबन्धी ४ |
अन्तर्मुहूर्त |
साधिक दो छयासठ सागर में किंचित् न्यून |
| स्त्रीवेद |
१ समय |
| ८ कषाय (अप्रत्याख्यानावरणी, प्रत्याख्यानावरणी) |
अन्तर्मुहूर्त |
कुछ कम एक कोटिपूर्व |
| नपुंसकवेद, ५ संस्थान, ५ संहनन, अप्रशस्त-विहायोगति, दुर्भग, दुस्वर, अनादेय, नीचगोत्र |
एक समय |
साधिक दो छयासठ सागर कुछ कम तीन पल्य |
| ३ आयु |
अन्तर्मुहूर्त |
सागर शतपृथक्त्व |
| मनुष्यायु |
अन्तर्मुहूर्त |
दो हजार सागरोपम पूर्वकोटि पृथक्त्वसे अधिक |
| पर्याप्तक |
दो हजार सागरोपम में कुछ कम |
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नरक-द्विक, ४ जाति, आताप, स्थावर-चतुष्क |
एक समय |
एकसौ पचासी सागरोपम |
| तिर्यंच-द्विक, उद्योत |
एकसौ त्रेसठ सागरोपम |
| मनुष्य-द्विक, उच्चगोत्र, सुरचतुष्क एक समय, उत्कृष्ट |
साधिक तेंतीस सागर |
| औदारिक-द्विक, वज्रवृषभ-संहनन |
साधिक तीन पल्य |
| आहारकद्विक |
अन्तर्मुहूर्त |
अपनी स्थिति प्रमाण |
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महबंधो - 1 (अंतराणुगमपरूवणा) |
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