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प्रकृति-स्थान विभक्ति (स्थान और स्वामित्व समुत्कीर्तना अनुयोग द्वार) |
| सत्व |
स्वामित्व |
काल |
अंतर |
भंग |
| उत्कृष्ट |
जघन्य |
उत्कृष्ट |
जघन्य |
| 1 प्रकृति |
संज्वलन लोभ |
क्षपक मनुष्य और मनुष्यनि |
अंतर्मुहूर्त |
अंतर्मुहूर्त |
अंतर नहीं |
कभी हैं कभी नहीं |
| 2 प्रकृति |
+ संज्वलन माया |
| 3 प्रकृति |
+ संज्वलन मान |
| 4 प्रकृति |
+ संज्वलन क्रोध |
| 5 प्रकृति |
+ पुरुष वेद |
2 आवली - एक समय |
| 11 प्रकृति |
+ 6 नोकषाय |
अंतर्मुहूर्त |
अंतर्मुहूर्त |
| 12 प्रकृति |
+ स्त्री वेद |
1 समय |
| 13 प्रकृति |
+ नपुंसक वेद |
अंतर्मुहूर्त |
| 21 प्रकृति |
+ 8 कषाय |
क्षायिक सम्यक्त्वी (चारों गति में) |
अंतर्मुहूर्त |
साधिक 33 सागर |
नियम से हैं |
| 22 प्रकृति |
+ सम्यक प्रकृति |
क्षायिक सम्यक्त्व सन्मुख कृतकृत्य वेदक |
अंतर्मुहूर्त |
अंतर्मुहूर्त |
कभी हैं कभी नहीं |
| 23 प्रकृति |
+ सम्यगमिथ्यात्व |
क्षायिक सम्यक्त्व सन्मुख मिथ्यात्व का क्षय करने वाले मनुष्य और मनुष्यनि |
| 24 प्रकृति |
+ मिथ्यात्व |
अनंतानुबंधी विसंयोजक (चारों गति में) सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि |
अंतर्मुहूर्त |
साधिक 132 सागर |
अंतर्मुहूर्त |
कुछ कम अर्ध पुद्गल परिवर्तन* |
नियम से हैं |
| 26 प्रकृति |
28 - (सम्यकप्रकृति, सम्यगमिथ्यात्व) |
मिथ्यादृष्टि |
1 समय* |
कुछ कम अर्ध पुद्गल परिवर्तन* |
पल्य / असंख्यात |
साधिक 132 सागर |
| 27 प्रकृति |
28 - सम्यगमिथ्यात्व |
मिथ्यादृष्टि |
1 समय* |
पल्य / असंख्यात |
कुछ कम अर्ध पुद्गल परिवर्तन* |
| 28 प्रकृति |
मोहनीय की 28 प्रकृतियाँ |
सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि, मिथ्यादृष्टि |
अंतर्मुहूर्त |
साधिक 132 सागर |
1 समय |
कुछ कम अर्ध पुद्गल परिवर्तन* |
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* सादि-सांत भेद की अपेक्षा |
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