परमपुरुष परमेसुर परमज्योति,
परब्रह्म पूरन परम परधान है ।
अनादि अनंत अविगत अविनाशी अज,
निरदुंद मुक्त मुकुंद अमलान है ॥
निराबाध निगम निरंजन निरविकार,
निराकार संसारसिरोमनि सुजान है ।
सरवदरसी सरवज्ञ सिद्ध स्वामी सिव,
धनी नाथ ईसजगदीस भगवान है ॥३६॥
अन्वयार्थ :
परमपुरुष परमेसुर परमज्योति,
परब्रह्म पूरन परम परधान है ।
अनादि अनंत अविगत अविनाशी अज,
निरदुंद मुक्त मुकुंद अमलान है ॥
निराबाध निगम निरंजन निरविकार,
निराकार संसारसिरोमनि सुजान है ।
सरवदरसी सरवज्ञ सिद्ध स्वामी सिव,
धनी नाथ ईसजगदीस भगवान है ॥३६॥