
प्रभाचन्द्र :
(वह अन्तरात्मा), आत्मा को जोड़े, अर्थात् सम्बन्ध करे । किसके साथ? मन के साथ (मानस ज्ञान / भावमन के साथ) । 'मन, वह आत्मा है' - ऐसा अभेदरूप अध्यवसाय (मान्यता) करे -- ऐसा अर्थ है और वाणी तथा काय से उसको (आत्मा को) वियुक्त (पृथक्) करे, अर्थात् वाणी और काया में आत्मा का अभेदरूप अध्यवसाय नहीं करे - ऐसा अर्थ है और वैसा करनेवाले वाक् काययोजित अर्थात् वाणी-काय द्वारा योजित, अर्थात् सम्पादित 'प्रतिपाद्य' प्रतिपादक भावरूप (शिष्य -गुरु सम्बन्धरूप) प्रवृत्ति-निवृत्ति व्यवहार को; किसके साथ (सम्पादित)? मन के साथ अर्थात् मन में आरोपित व्यवहार को; मन से तजे, अर्थात् मन में चिन्तवन नहीं करे ॥४८॥ पुत्र-स्त्री आदि के साथ के वाणी-काया के व्यवहार में तो सुख की उत्पत्ति की प्रतीति होती है, तो उसका (व्यवहार का) त्याग किस प्रकार योग्य है? वह कहते हैं -- |