+ द्रव्यों का जीव पर उपकार -
एयइँ दव्वइँ देहियहँ णिय-णिय-कज्जु जणंति ।
चउ-गइ-दुक्ख सहंत जिय तेँ संसारु भमंति ॥26॥
एतानि द्रव्याणि देहिनां निजनिजकार्यं जनयन्ति ।
चतुर्गतिदुःखं सहमानाः जीवाः तेन संसारं भ्रमन्ति ॥२६॥
अन्वयार्थ : [एतानि द्रव्याणि] ये द्रव्य [देहिनां] जीवों के [निजनिजकार्यं] अपने-अपने कार्य को [जनयंति] उपजाते हैं, [तेन] इस कारण [चतुर्गतिदुःखं सहमानाः जीवाः] चारों गतियों के दुःखों को सहते हुए जीव [संसारं भ्रमंति] संसार में भटकते हैं ।
Meaning : The five Ajiva substances all perform their functions according to their nature; being affected by them the Jiva (soul) wanders about in the Samsara, suffering pains and pleasures of the four classes of life.

  श्रीब्रह्मदेव