+ पर-द्रव्य दुःख का कारण -
दुक्खहँ कारणु मुणिवि जिय दव्वहँ एहु सहाउ ।
होयवि मोक्खहँ मग्गि लहु गम्मिज्जइ पर-लोउ ॥27॥
दुःखस्य कारणं मत्वा जीव द्रव्याणां एतत्स्वभावम् ।
भूत्वा मोक्षस्य मार्गे लघु गम्यते परलोकः ॥२७॥
अन्वयार्थ : [जीव] हे जीव, [द्रव्याणां इमं स्वभावम्] परद्रव्यों के ये स्वभाव [दुःखस्य कारणं मत्वा] दुःख के कारण जानकर [मोक्षस्य मार्गे] मोक्ष के मार्ग में [भूत्वा] लगकर [लघु परलोकः गम्यते] शीघ्र ही उत्कृष्ट लोकरूप मोक्ष में जाना चाहिये ।
Meaning : O, Soul! Know thou all these five Dravyas as the cause of Dukha (pain), because by furnishing thee with thy body, form, and the like, they make thee wander in the Samsara ; hence thou shouldst follow the Moksha-Marga (way to salvation) so that thou mightst obtain Moksha.

  श्रीब्रह्मदेव