+ शुद्ध-जानने वाले जीवों में भेद नहीं करते -
बंभहँ भुवणि वसंताहँ जे णवि भेउ करंति ।
ते परमप्प-पयासयर जोइय विमलु मुणंति ॥99॥
ब्रह्मणां भुवने वसतां ये नैव भेदं कुर्वन्ति ।
ते परमात्मप्रकाशकराः योगिनः विमलं मन्यन्ते ॥९९॥
अन्वयार्थ : [भुवने] इस लोक में [वसन्तः] रहनेवाले [ब्रह्मणः] जीवों का [भेदं नैव कुर्वति] भेद नहीं करते हैं, [ते परमात्मप्रकाशकराः] वे परमात्मा के प्रकाश करनेवाले [योगिन्] योगी, [विमलं] शुद्ध [जानंति] जानते हैं ।
Meaning : Those Yogins who manifest Parmatman in themselves, make no distinction between the Parma-Brahma-Swarupa Atmas dwelling in the three Lokas (worlds), and recognise them all as Nirmala (free from the dirt of Karmas) and Shuddha (pure).

  श्रीब्रह्मदेव