
राय-दोस बे परिहरिवि जे सम जीव णियंति ।
ते सम-भावि परिट्ठिया लहु णिव्वाणु लहंति ॥100॥
रागद्वेषौ द्वौ परिहृत्य ये समान् जीवान् पश्यन्ति ।
ते समभावे प्रतिष्ठिताः लघु निर्वाणं लभन्ते ॥१००॥
अन्वयार्थ : [ये रागद्वेषौ परिहृत्य] जो राग और द्वेष को दूर होने से [जीवाः समाः] सब जीवों को समान [निर्गच्छंति] जानते हैं, [ते] वे साधु [समभावे] समभाव में [प्रतिष्ठिताः] विराजमान [लघु] शीघ्र ही [निर्वाणं] मोक्ष को [लभंते] पाते हैं ।
Meaning : Those saints who have abandoned Vipareeta Bhavas , such as Raga and Dvesha , know all souls as equal, become established in Sambhava and soon attain to Nirvana.
श्रीब्रह्मदेव