+ मोह दुख का कारण देख और छोड़ -
जोइय मोहु परिच्चयहि मोहु ण भल्लउ होइ ।
मोहासत्तउ सयलु जगु दुक्खु सहंतउ जोइ ॥111॥
योगिन् मोहं परित्यज मोहो न भद्रो भवति ।
मोहासक्तं सकलं जगद् दुःखं सहमानं पश्य ॥१११॥
अन्वयार्थ : [योगिन्] हे योगी ! [मोहं] मोह को [परित्यज] बिलकुल छोड़, [मोहः भद्रः न भवति] मोह अच्छा नहीं होता है, [मोहासक्तं] मोह से आसक्त [सकलं जगत्] सब जगत् जीवों को [दुःखं सहमानं पश्य] क्लेश भोगते हुए देख ।
Meaning : Moha (illusion or infatuation) ought to be abandoned ; in no way is it desirable. The whole world is suffering from pain on account of Moha.

  श्रीब्रह्मदेव