
चतुर्धा दर्शनं तत्र चक्षुषोऽचक्षुषोऽवधे: ।
केवलस्य च विज्ञयें वस्तुसामान्य-वदे कम् ॥7॥
अन्वयार्थ : तत्र वस्तु-सामान्य-वेदकं दर्शनम् । चक्षुष: अचक्षुष: अवधे: केवलस्य च चतुर्धा विज्ञेयम् ।
सरलार्थ :- जीव के उपयोगलक्षण में वस्तु-सामान्य का वेदन करनेवाला दर्शनोपयोग है और वह चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन व केवलदर्शन के भेद से चार प्रकार का है ।