
ननु मोघमेतदुक्तं सर्वं पिष्टस्य पेषणन्यायात् ।
एकेनैव कृतं यत् स इति यथा वा तदंश इति वा चेत् ॥64॥
अन्वयार्थ : ऊपर जितना भी कहा गया है, सभी पिष्ट-पेषण है अर्थात् पीसे हुए को पीसा गया है । एक के कहने से ही काम चल जाता है, या तो द्रव्य ही कहना चाहिये अथवा पर्याय ही कहना चाहिये । द्रव्य और पर्याय को जुदा-जुदा कहना निष्फल है ?