
द्रव्यं ततः कथंचित्केनचिदुत्पद्यते हि भावेन ।
व्येति तदन्येन पु्नर्नैतद् द्वितयं हि वस्तुतया ॥91॥
अन्वयार्थ : उपर्युक्त कथन से द्रव्य परिणामी सिद्ध हो चुका इसलिये वह किसी अवस्था से कथंचित् उत्पन्न भी होता है, किसी दूसरी अवस्था से कथंचित् नष्ट भी होता है । वस्तु स्थिति से उत्पत्ति और नाश, दोनों ही वस्तु में नहीं होते ।