+ मंगलाचरण -
गुरु दिणयरु गुरु हिमकिरणु गुरु दीवउ गुरु देउ ।
अप्यहं परहं परंपरहं जो दरिसावइ भेउ ॥1॥
अन्वयार्थ : जो परंपरा से आत्मा और पर का भेद दर्शाते हैं, ऐसे गुरु ही दिनकर हैं, गुरु ही हिम किरण-चन्द्रमा हैं, गुरु ही दीपक हैं और वे गुरु ही देव हैं ।