+ मंगलाचरण -
मूलगुणेसु विसुद्धे वंदित्ता सव्वसंजदे सिरसा
इहपरलोगहिदत्थे मूलगुणे कित्तइस्सामि ॥1॥
अन्वयार्थ : [मूलगुणेसु विसुद्धे] मूलगुणों द्वारा विशुद्ध [सव्वसंजदे] सभी संयतों को [सिरसा] सर से (झुकाकर) [वंदित्ता] नमस्कार करके [इहपरलोगहिदत्थे] इस और पर लोक के लिए हितकर [मूलगुणे] मूल गुणों का [कित्तइस्सामि] वर्णन करूँगा ।