+ मूलगुण के नाम -
पंचय महव्वयाइं समिदीओ पंच जिणवरुद्दिट्ठा
पंचेविंदियरोहा छप्पि य आवासया लोओ ॥2॥
आचेलकमण्हाणं खिदिसयणमदंतघंसणं चेव
ठिदिभोयणेयभत्तं मूलगुणा अट्ठवीसा दु ॥3॥
अन्वयार्थ : [पंचय महव्वयाइं] पांच ही महाव्रत, [समिदीओ पंच] पांच ही समितियां और [पंचचेविंदियरोहा] पांच ही इन्द्रिय निरोध, [छप्पि च आवासया] छह ही आवश्यक, [लोओ] लोंच, [आचेलकमव्हाणं] आचेलक्य, अस्नान [खिदिसयणमदंतघंसणं चेव] क्षितिशयन अदंतधावन, [ठिदिभोयेणभत्तं] स्थिति भोजन, और एक भक्त [मूलगुणा अट्ठवीसा दु] ये २८ मूलगुण [जिणवरुद्दिट्ठा] जिनेन्द्र देव ने बताये हैं ।