+ परिग्रह महाव्रत -
जीव णिबद्धाबद्धा परिग्गहा जीवसंभवा चेव
तेसिं सक्क्च्चाओ इयरम्हि य णिम्‍मओऽसंगो ॥9॥
अन्वयार्थ : [जीवणिबद्धाबद्धा परिग्गहा] जीव के आश्रित अन्तरंग परिग्रह तथा [जीवसंभवा चेव] चेतन व अचेतन परिग्रह इत्यादि का [तेसिं सक्कच्चागो] शक्ति प्रगट करके त्याग, [इयम्हि य] तथा इनसे इतर जो संयम, ज्ञान, शौच के उपकरण इनमें [णिम्ममोऽसंगो] ममत्व का न होना परिग्रह-त्याग (महाव्रत) है ।