+ ब्रह्मचर्य महाव्रत -
मादुसुदाभगिणीव य दट्ठूणित्थित्तियं च पडिरूवं
इत्थिकहादिणियत्ती तिलोयपुज्जं हवे बंभं ॥8॥
अन्वयार्थ : [मादुसुदाभगिणीव य] वृद्धा, बाला, यौवनवाली स्त्री को देखकर अथवा उनकी तस्वीरों को देखकर [दट्ठूणित्थित्तियं च पडिरूवं] उनको माता-पुत्री-बहन समान समझ [इत्थिकहादिणियत्ती] स्त्री-सम्बन्धी कथादि का अनुराग छोड़ना, [तिलोयपुज्जं हवे बंभं] वह तीनों लोकों का पूज्य ब्रह्मचर्य (महाव्रत) है ।