+ मूलगुणों का फल -
एवं विहाणजुत्ते मूलगुणे पालिऊण तिविहेण
होऊण जगदि पुज्जो अक्खयसोक्खं लभइ मोक्खं ॥36॥
अन्वयार्थ : मूलगुणों को मन वचन काय से पालन करके मनुष्य जगत में पूज्य होकर अक्षय सुखरूप मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।