+ तरुण आर्यिका के साथ वचनालाप में दोष -
तरुणों तरुणीए सह कहा व सल्लावणं च जदि कुज्जा
आणाकोवादीया पंचवि दोसा कदा तेण ॥179॥
अन्वयार्थ : तरुण मुनि तरुणी के साथ यदि कथा या वचनालाप करे तो उस मुनि ने आज्ञाकोप, अनवस्था, मिथ्यात्वाराधना, आत्मनाश और संयम-विराधना इन पाप के हेतुभूत पाँच दोषों को करता है ।