+ केवलज्ञान को प्रणाम -
तज्जयति परं ज्योति: समं समस्तैरनन्तपर्यायै: ।
दर्पणतल इव सकला प्रतिफलति पदार्थमालिका यत्र ॥1॥
त्रैकालिक पर्याय सहित जो सकल पदार्थ समूह अहो ।
दर्पणतल-वत् झलकें जिसमें परम ज्योति जयवन्त रहो ॥१॥
अन्वयार्थ : [तत्] वह [परं] उत्कृष्ट [ज्योतिः] ज्योति (केवलज्ञानरूपी प्रकाश) [जयति] जयवन्त हो [यत्र] जिसमें [समस्तैः] सम्पूर्ण [अनन्तपर्यायैः] अनन्त पर्यार्यों से [समं] सहित [सकला] समस्त [पदार्थमालिका] पदार्थों की माला (समूह) [दर्पणतल इव] दर्पण के तल भाग के समान [प्रतिपफलति] झलकते हैं ।
Meaning : Victory to that Supreme Intelligence, where, as it were in a mirror, is reflected the chain of all substances, in all their infinite conditions.

  टोडरमल 

टोडरमल :

[तत्] वह [परं] उत्कृष्ट [ज्योतिः] ज्योति (केवलज्ञानरूपी प्रकाश) [जयति] जयवन्त हो [यत्र] जिसमें [समस्तैः] सम्पूर्ण [अनन्तपर्यायैः] अनन्त पर्यार्यों से [समं] सहित [सकला] समस्त [पदार्थमालिका] पदार्थों की माला (समूह) [दर्पणतल इव] दर्पण के तल भाग के समान [प्रतिपफलति] झलकते हैं ।