+ आगम का वंदन -
परमागमस्य जीवं निषिद्धजात्यन्ध सिन्धुरविधानम्‌ ।
सकलनय विलसितानां विरोधमथनं नमाम्यनेकान्तम् ॥2॥
परमागम का बीज निषेधक जन्मान्धों का हस्तिकथन ।
नय-विरोध सम्पूर्ण विनाशक अनेकांत को करूँ नमन ॥२॥
अन्वयार्थ : [परमागस्य] उत्कृष्ट आगम अर्थात् जैन सिद्धान्त का [बीजं] प्राण-स्वरूप, [निषिद्धजात्यन्ध सिन्धुराविधानम्] जन्म से अन्धे पुरुषों द्वारा होने वाले हाथी के स्वरूप-विधन का निषेध् करने वाले, [सकलनयविलसितानां] समस्त नयों की विवक्षा से विभूषित पदार्थों के [विरोधमथनं] विरोध को दूर करने वाले [अनेकान्तम्] अनेकान्त-धर्म को [नमामि] मैं (श्रीमदमृतचन्द्रसूरि) नमस्कार करता हूँ ।
Meaning : I bow to Anekant (Jaina Philosophy), which is the root basis of the Highest Scripture, which dispels the wrong notions about elephant, of persons born blind, and which removes the contradictions amongst all those who entertain one-sided or limited points of view.

  टोडरमल 

टोडरमल :

[परमागस्य] उत्कृष्ट आगम अर्थात् जैन सिद्धान्त का [बीजं] प्राण-स्वरूप, [निषि(जात्यन्ध्सिन्ध्ुरविधनम्] जन्म से अन्धे पुरुषों द्वारा होने वाले हाथी के स्वरूप-विधन का निषेध् करने वाले, [सकलनयविलसितानां] समस्त नयों की विवक्षा से विभूषित पदार्थों के [विरोधमथनं] विरोध को दूर करने वाले [अनेकान्तम्] अनेकान्त-धर्म को [नमामि] मैं (श्रीमदमृतचन्द्रसूरि) नमस्कार करता हूँ ।