+ कर्म-भाव जीव-परिणमन का निमित्त -
परिणममानस्य चितश्चिदात्मकै: स्वयमपि स्वकैर्भावै: ।
भवति हि निमित्तमात्रं पौद्‌गलिकं कर्म तस्यापि ॥13॥
स्वयं किये चिन्मय भावों में परिणमते इस चेतन को ।
निमित्त मात्र होते हैं पुद्‌गल परमाणुमय कर्म अहो ॥१३॥
अन्वयार्थ :  [हि] निश्चय से [स्वकै:] अपने [चिदात्मकै:] चेतनास्वरूप [भावै:] रागादि परिणामों से [स्वयमपि] स्वयं ही [परिणममानस्य] परिणमन करते हुए [तस्य चित अपि] पूर्वोक्त आत्मा के भी [पौद्‌गलिकं] पुद्‌गल सम्बन्धी [कर्म] ज्ञानावरणादि द्रव्यकर्म [निमित्तमात्रं] निमित्तमात्रं [भवति] होता है ।
Meaning : To a Jiva, modifying itself by its own (impure) thought activities, the material Karma (in operation) acts only as a stimulus.

  टोडरमल