+ जीव-भाव कर्म-परिणमन का निमित्त -
जीवकृतं परिणामं निमित्तमात्रं प्रपद्य पुनरन्ये ।
स्वयमेव परिणमन्तेऽत्र पुद्‌गला: कर्मभावेन ॥12॥
चेतन कृत परिणामों का निमित्तपना पाकर के मात्र ।
कर्मरूप परिणमते हैं पुद्‌गल परमाणु अपने आप ॥१२॥
अन्वयार्थ :  [जीवकृतं] जीव के किये हुए [परिणामं] रागादि परिणामों का [निमित्त-मात्रं] निमित्तमात्र [प्रपद्य] पाकर [पुन:] फिर [अन्ये पुद्गला:] जीव से भिन्न अन्य पुद्‌गल स्कन्ध [अत्र] आत्मा में [स्वयमेव] अपने आप ही [कर्मभावेन] ज्ञानावरणादि कर्मरूप [परिणमन्ते] परिणमन कर जाते हैं।
Meaning : Again, other molecules of matter, coming in contact with the stimulus of (impure) thought-activities emanating from the Jiva, themselves turn into the form of Karma.

  टोडरमल