
यदपि किल भवति मांसं स्वयमेव मृतस्य महिषवृषभादेः ।
तत्रापि भवति हिंसा तदाश्रितनिगोतनिर्मथनात् ॥66॥
स्वयमेव मृत भैंसा बलद, आदि का माँस भि सदा ही ।
स्व-आश्रयी सम्मूर्छनों के, मथन से हिंसामयी ॥६६॥
अन्वयार्थ : [यदपि किल] यद्यपि यह सत्य है कि [स्वयमेव मृतस्य] अपने आप ही मरे हुए [महिषवृषभादे: मांसं भवति] भैंस, बैल इत्यादि का मांस होता है परन्तु [तत्रापि] वहाँ भी [तदाश्रितनिगोत-निर्मथनात्] उसके आश्रय रहनेवाले उसी जाति के निगोद जीवों के मन्थन से [हिंसा भवति] हिंसा होती है ।
Meaning : If the flesh be that of a buffalo, ox, etc., which has died of itself, even then Himsa is caused by the crushing of creatures spontaneously born therein.
टोडरमल