
न विना प्राणिविघातान्मांसस्योत्पत्तिरिष्यते यस्मात् ।
मांसं भजतस्तस्मात् प्रसरत्यनिवारिता हिंसा ॥65॥
नित जीवघात बिना नहीं, है माँस उत्पत्ति कभी ।
यों माँसभक्षी को सतत, अनिवार्य हिंसा ही कही ॥६५॥
अन्वयार्थ : [यस्मात् प्राणिविघाताम् विना] क्योंकि प्राणियों का घात किए बिना [मांसस्य उत्पत्ति: न इष्यते] मांस की उत्पत्ति नहीं मानी जा सकती [तस्मात् मांसं भजत:] इसलिए मांसभक्षी को [अनिवारिता हिंसा प्रसरति] अनिवार्यरूप से हिंसा फैलती है ।
Meaning : Flesh cannot be procured without causing destruction of life; one who uses flesh, therefore commits Himsa, unavoidably.
टोडरमल