
आमां वा पक्वां वा खादति यः स्पृशति वा पिशितपेशीम् ।
स निहन्ति सततनिचितं पिण्डं बहुजीवकोटीनाम् ॥68॥
कच्चे व पक्के माँसखण्डों, को छुए भक्षण करे ।
वह सतत संचित विविध जीवों, पिण्ड की हत्या करे ॥६८॥
अन्वयार्थ : [य: आमां वा पक्वां] जो कच्ची अथवा अग्नि में पकी हुई [पिशितपेशीम् खादति] मांस की पेशी को खाता है [वा स्पृशति] अथवा छूता है [स: सततनिचितं] वह पुरुष निरन्तर इकट्ठे हुए [बहुजीवकोटीनाम्] अनेक जाति के जीव समूह के [पिण्डं निहन्ति] पिण्ड का घात करता है ।
Meaning : He who eats, or touches, a raw, or a cooked piece of flesh, certainly kills a group of spontaneously-born creatures constantly gathering together.
टोडरमल