+ मधु के दोष -
मधुशकलमपि प्रायो मधुकरहिंसात्मकं भवति लोके ।
भजति मधु मूढधीको यः स भवति हिंसकोऽत्यन्तम् ॥69॥
है मधु की इक बूँद भी, प्राय: मधूकर घातमय ।
जो मूढ़ सेवन करे मधु का, महा हिंसक सदा वह ॥६९॥
अन्वयार्थ : [लोके मधुशकलमपि] इस लोक में मधु की एक बूँद भी [प्राय: मधुकरहिंसात्मकं] बहुत करके मधुकर-भौरों की अथवा मधुमक्खियों की हिंसास्वरूप [भवति य: मूढधीक:] होती है, इसलिए जो मूर्खबुद्धि [मधु भजति] मधु का भक्षण करता है, [स: अत्यन्तं हिंसक:] वह अत्यन्त हिंसाक है ।
Meaning : Even the smallest drop of honey in the world very often represents the death of bees; the fool who uses honey is a great destroyer.

  टोडरमल