+ मिथ्या मत प्रेरित मुक्ति के निमित्त भी न मारे -
धनलवपिपासितानां विनेयविश्वासनाय दर्शयताम् ।
झटितिघटचटकमोक्षं श्रद्धेयं नैव खारपटिकानाम् ॥88॥
घट नष्ट खग शिव शीघ्र, यों मानों नहीं ये खारपटिक ।
जो शिष्य विश्वसनीयता, वश दिखा कम धन चाह नित ॥८८॥
अन्वयार्थ : [धनलवपिपासितानां] थोड़े धन का लोभी और [विनेयविश्वासनाय दर्शयताम्] शिष्यों को विश्वास उत्पन्न करने के लिये दर्शानेवाला [खारपटिकानाम्] खार-पटिकों का [झटितिघटचटकमोक्षं] शीघ्र घड़ा फूटने से चिड़िया के मोक्ष की तरह मोक्ष का [नैवश्रद्धेयं] श्रद्धान नहीं करना चाहिए ।
Meaning : Do not believe in the doctrine of "pot-breaking im. mediate salvation" inculcated by Kharpatikas, impelled by their thirst for small riches; into inducing such belief in their pupils.

  टोडरमल