+ विशेष -
पुनरपि पूर्वकृतायां समीक्ष्य तात्कालिकीं निजां शक्तिम् ।
सीमन्यन्तरसीमा प्रतिदिवसं भवति कर्त्तव्या ॥165॥
उन पूर्वकृत सीमा में अपनी, शक्ति देख प्रति दिवस ।
कर तात्कालिक और भी, सीमा में सीमा यथोचित ॥१६५॥
अन्वयार्थ : [पूर्वकृतायां] पहले की हुई [सीमनि] मर्यादा में [पुन:] फिर से [अपि] भी [तात्कालिकी] उस समय की अर्थात् वर्तमान समय की [निजां] अपनी [शक्तिम्] शक्ति को [समीक्ष्य] विचार कर [प्रतिदिवसं] प्रत्येक दिन [अन्तरसीमा] मर्यादा में भी थोड़ी मर्यादा [कर्त्तव्या भवति] करना योग्य है ।
Meaning : Again having regard to one's capacity at the time, a further limit to the limits already set, should be made every day.

  टोडरमल