णवणिहि चउदहरयणं, हयमत्तगइंदचाउरंगबलं ।
चक्केसस्स ण सरणं, पेच्छंतो कद्दये काले ॥10॥
अन्वयार्थ :
नौ निधियाँ, चौदह रत्न, घोड़े, मत्त हाथी और चतुरंगिणी सेना चक्रवर्ती के लिए शरण नहीं हैं। देखते-देखते काल उसे नष्ट कर देता है ॥१०॥