+ अन्‍यत्‍वानुप्रेक्षा -
मादापिदरसहोदरपुत्‍तकलत्‍तादिबंधुसंदोहो ।
जीवस्‍स ण संबंधो, णियकज्‍जवसेण वट्टंति ॥21॥
अन्वयार्थ : माता, पिता, सगा भाई, पुत्र तथा स्‍त्री आदि बंधुजनों – इष्‍ट जनों का समूह जीव से संबंध रखने वाला नहीं है। ये सब अपने कार्य के वश साथ रहते हैं ॥२१॥