+
द्रव्यपरिवर्तन का स्वरूप
-
सव्वे वि पोग्गला खलु, एगे भुत्तुज्झिया हि जीवेण ।
असयं अणंतखुत्तो, पुग्गलपरियट्टसंसारे ॥25॥
अन्वयार्थ :
पुद्गलपरिवर्तन
(द्रव्यपरिवर्तन)
रूप संसार में इस जीवने अकेले ही समस्त पुद्गलों पुद्गलों को अनंत बार भोगकर छोड़ दिया है ॥२५॥