जत्‍तेण कुणइ पावं, विसयणिमित्तिं च अ‍हणिसं जीवो ।
मोहंधयारसहियो, तेण दु परिपडदि संसारे ॥34॥
अन्वयार्थ : मोहरूपी अंधकार से सहित जीव विषयों के निमित्‍त यत्‍नपूर्वक पाप करता है और उससे संसार में पड़ता है ॥३४॥