णिरया हवंति हेट्ठा, मज्झे दीवंबुरासयो संखा ।
सग्गो तिसट्ठिभेओ, एत्तो उड्ढो हवे मोक्खो ॥40॥
अन्वयार्थ :
नीचे नरक है, मध्य में असंख्यात द्वीपसमुद्र हैं ऊपर त्रेसठ भेदों से युक्त स्वर्ग हैं और इनके ऊपर मोक्ष है ॥४०॥