+ सल्लेखना में शेष आहार त्याग का क्रम -
खरपानहापनामपि, कृत्वा कृत्वोपवासमपि शक्त्या
पञ्चनमस्कारमनास्तनुं त्यजेत्सर्व-यत्नेन ॥128॥
अन्वयार्थ : [खरपानहापनामपि] गर्म जल का भी त्याग [कृत्वा] करके [शक्त्या] शक्ति के अनुसार [उपवासमपि] उपवास भी [कृत्वा] करके [सर्वयत्नेन] पूर्ण तत्परता से [पञ्चनमस्कारमना:] पञ्चनमस्कार मंत्र में मन लगाता हुआ [तनुं] शरीर को [त्यजेत्] छोड़े ।

  प्रभाचन्द्राचार्य    आदिमति    सदासुखदास 

प्रभाचन्द्राचार्य :

खरपानहापनामपि कृत्वा । कथम् ? शक्त्या स्वशक्तिमनतिक्रमेण स्तोकस्तोकतरादिरूपम् । पश्चादुपवासं कृत्वा तनुमपि त्यजेत् । कथम् ? सर्वयत्नेन सर्वस्मिन् व्रतसंयमचारित्रध्यानधारणादौ यत्नस्तात्पर्यं तेन । किंविशिष्ट: सन् ? पञ्चनमस्कारमना: पञ्चनमस्काराहितचित्त: ॥
आदिमति :

तत्पश्चात् उस गर्म जल का भी त्यागकर अपनी शक्ति का अतिक्रमण नहीं करके कुछ उपवास भी करे । और अन्त में यत्नपूर्वक व्रत-संयम-चारित्र, ध्यान-धारणादि सभी कार्यों में तत्पर रहते हुए पंचनमस्कार मंत्र में अपने चित्त को लगाते हुए शरीर को भी छोड़ देवे ।