पंडिदपंडिद मरणं च पंडिदं बालपंडिदं चेव ।
एदाणि तिण्णि मरणाणि जिणा णिच्चं य पसंसति॥27॥
पंडित-पंडित मरण तथा पंडित अरु पंडित-बाल1 गहो ।
ये तीनों ही मरण प्रशंसा योग्य कहें भगवन्त अहो॥27॥
अन्वयार्थ : पण्डित-पण्डित मरण, पण्डित मरण, बालपण्डित मरण - इन तीन प्रकार के मरणों की जिनेन्द्र भगवान सदा ही प्रशंसा करते हैं ।
सदासुखदासजी