+ अब पाँच प्रकार के मरणों के स्वामी कहते हैं - -
पंडिदपंडिद मरणे खीणकसाया मरंति केवलिणो ।
विरदाविरदा जीवा मरंति तदियेण मरणेण॥28॥
पण्डित-पण्डितमरण विनष्ट कषाय केवली का निर्वाण ।
देशव्रती श्रावक का पण्डित-बालमरण यह तीजा जान॥28॥

  सदासुखदासजी