+ आगे जो सम्यक्त्वाराधना सहित मरण करते हैं, उनकी गति विशेष कहते हैं- -
बेमाणियणरलोये सत्तट्ठभवेसु सुक्खमणुभूय ।
सम्मत्तमणुसरंता करंति दुक्खक्खयं धीरा॥53॥
बमिोणयणरलायिि सत्तट्ठभवसिु सुक्खमणुभूय ।
सम्मत्तमणुसरंता करंेत दुक्खक्खयं धीरा॥53॥
अन्वयार्थ : सम्यक्त्वाराधना को प्राप्त हुए जो धैर्यवान जीव, वे वैमानिक देवों के या उत्तम मनुष्यों के सात-आठ जन्म में सुख का अनुभव करके संसार के दु:खों का अभाव करते हैं ।

  सदासुखदासजी