+ अब सम्यग्दर्शन के लाभ/माहात्म्य को प्रगट करते हैं- -
संखेज्जमसंखेज्जगुणं वा संसारमणुसरित्तूणं ।
दुक्खक्खयं करंते जे सम्मत्तेणणुसरंति॥55॥
संख्य-असंख्य जन्म धारण कर भवसागर को पार करें ।
जो नर सम्यग्दर्शन धारें वे समस्त दुःख नाश करें॥55॥

  सदासुखदासजी