सविचारभत्तपच्चक्खाणस्सिणमो उवक्कमो होदि ।
तत्थ य सुत्तपदाइं चत्तालं होंति णेयाइं॥68॥
प्रथम भक्त प्रत्याख्यान का वर्णन करते हैं प्रारम्भ ।
सूत्र पदों में कहे गये अधिकार कहूँ चालीस सुनाम॥68॥
अन्वयार्थ : यहाँ सविचार भक्तप्रत्याख्यानमरण का कथन आरम्भ होता है । इस सविचार भक्तप्रत्याख्यान में चालीस अधिकार जानने योग्य हैं ।
सदासुखदासजी