पं-सदासुखदासजी
अणिवित्तिकरणणमे णवमं गुणठाणयं च अधिगम्म ।
णिद्दाणिद्दा पयलापयला तध थीणगिद्घिं च॥2101॥
नवमा है अनिवृत्तिकरण इस गुणस्थान को प्राप्त करे ।
निद्रानिद्रा, प्रचला-प्रचला, स्त्यानगृद्धि को क्षीण करे॥2101॥
सदासुखदासजी