
यावदस्ति प्रतीकारस्तावत्कुर्यात्प्रतिक्रियाम् ।
तथाप्यनुपशान्तानामनुद्वेगः प्रतिक्रिया ॥२०७॥
अन्वयार्थ : जब तक रोगों का प्रतीकार हो सकता है तब तक उसे करना चाहिये। परन्तु फिर भी यदि वे नष्ट नहीं होते हैं तो इससे खेद को प्राप्त नहीं होना चाहिये । यही वास्तव में उन रोगों का प्रतीकार है ॥२०७॥
Meaning : So long as the diseases can be cured, efforts should be made. Still, if these remain incurable, there is no point grieving. This, truly, is the way to combat such diseases.
भावार्थ