+ अन्तिम मङ्गलाचरण -
ऋषभो नाभिसूनूर्यो भूयात्स भविकाय वः ।
यज्ज्ञानसरसि विश्वं सरोजमिव भासते ॥270॥
अन्वयार्थ : जिनके ज्ञानसरोवर में सकल जगत् कमलवत् भासित होता है वे नाभिराजा के पुत्र (भगवान्) ऋषभदेव तुम्हारे कल्याण के निमित्त होवें ।
Meaning : May Lord Rishabha Deva, son of Nābhirājā, in whose knowledge-lake the world appears like a lotus, bring you propitiousness!

  भावार्थ 

भावार्थ :