चदुगदिसंसारगमणकारणभूदाणि दुक्खहेदूणि ।
ताणि हवे बहिरप्पा, वत्थुसरूवाणि भावाणि ॥137॥
चतुर्गतिसंसारगमनकारणभूता: दु:खहेतव: ।
ते भवन्ति बहिरात्मान: वस्तुस्वरूपा भावा: ॥
अन्वयार्थ : वस्तु-स्वरूप से सम्बन्धित जो भी भाव बहिरात्मारूप (अर्थात्बहिरात्मा के) होते हैं, वे चतुर्गति रूप संसार में परिभ्रमण के (ही) कारण हैं और दु:ख केहेतु हैं ॥137॥