
मोक्खगदिगमणकारणभूदाणि पसत्थपुण्णहेदूणि ।
ताणि हवे दुविहप्पा, वत्थुसरूवाणि भावाणि ॥138॥
मोक्षगतिगमनकारणभूता: प्रशस्तपुण्यहेतव: ।
ते भवन्ति द्विविधात्मन: वस्तुस्वरूपा: भावा:॥
अन्वयार्थ : द्विविध आत्मा के वस्तुस्वरूप-सम्बन्धीजो भाव हैं, वे प्रशस्त पुण्य के तथा मोक्ष-गति में गमन के कारण होते हैं ॥138॥