णिक्खेव-णय-पमाणं सद्दालंकार-छंद लहियाणं ।
णाडयपुराण कम्मं सम्म विणा दीहसंसारं ॥155॥
निक्षेप-नय-प्रमाणं शब्दालङ्कारछन्दो लब्धवताम् ।
नाटक-पुराणं कर्म सम्यक्त्वं विना दीर्घसंसार: ॥
अन्वयार्थ : निक्षेप, नय, प्रमाण, शब्दालङ्कार, छन्द, नाटक, पुराण । इन्हें (ज्ञान से) अधिगतकिया और क्रियाएँ भी कीं, किन्तु सम्यक्त्व के बिना (वे) संसार के (ही) कारण रही हैं ॥155॥