अदिसोहणजोएण सुद्धं हेमं हवेदि जह तह य ।
कालाईलद्धीए अप्पा परमप्पओ हवदि ॥164॥
अतिशोधनयोगेन शुद्धं हेम भवति यथा तथा च ।
कालादिलब्ध्या आत्मा परमात्मा भवति॥
अन्वयार्थ : जिस प्रकार अतिशोधन क्रिया द्वारा स्वर्ण शुद्ध हो जाता है, उसीतरह काल-लब्धि आदि के द्वारा आत्मा परमात्मा हो जाता है ॥164॥